पारपेट (Malkapur) की जनता बुनियादी सुविधाओं से परेशान है। टूटी सड़कें, बार-बार होने वाली बिजली कटौती और कचरे के ढेर ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। लेकिन नेताओं को इन समस्याओं से कोई फर्क नहीं पड़ रहा।
🚧 टूटी सड़कें, जनता का गुस्सा
हर गली-नुक्कड़ पर गड्ढे, बरसात में तालाब जैसी हालत। स्थानीय लोग कहते हैं – “गड्ढों से बचते-बचते गाड़ी चलाना जैसे जंग जीतने जैसा हो गया है।”
⚡ बिजली गुल, अंधेरे में जिंदगी
दिनभर में कई बार बिजली गुल होने से छोटे दुकानदारों का धंधा ठप हो गया है और बच्चे अंधेरे में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। एक निवासी ने कहा – “बिजली है तो घर-घर उजाला, वरना रात भर अंधेरा ही अंधेरा।”
🧹 गंदगी और बदबू का साम्राज्य
गली-मोहल्लों में कचरे के ढेर लगे हैं। बदबू से लोग परेशान हैं। मच्छरों के बढ़ते प्रकोप से डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। लोग कहते हैं – “नगरपालिका वाले सिर्फ चुनाव के टाइम दिखाई देते हैं।”
🏛 नेता मस्त, जनता त्रस्त
जनता की तकलीफें बढ़ती जा रही हैं लेकिन नेता सिर्फ बैनर, पोस्टर और फोटोशूट में व्यस्त हैं। सोशल मीडिया पर बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर काम शून्य है।
🔗 संबंधित खबरें
🌐 बाहरी लिंक
निष्कर्ष: पारपेट Malkapur की जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है। सवाल ये है कि कब नेता और प्रशासन जनता की आवाज़ सुनेंगे और कब तक लोग ऐसी मुश्किलों से परेशान रहेंगे।

